कविता अंबिका राही द्वारा
मुझे कभी कुछ और न चाहिए
बस उनका साथ हर पल चाहिए
अब तक जीता था फुटपाथ की राहों पर
इस राही को अब एक महल चाहिए
पलके बिछाए बैठे हैं हम उनकी राहों पर
अब तो बस उनका आगमन चाहिए
मुझे कभी कुछ और न चाहिए
बस उनका साथ हर पल चाहिए
बहुत धोखे खाए हैं हमने जिंदगी में
अब तो हमको वफा की चमत्कार चाहिए
कुछ और देखने की कभी जरूरत ना पड़े
अब उसी एक में मुझको दुनिया व संसार चाहिए
मुझे कभी कुछ और ना चाहिए
बस उनका साथ हर पल चाहिए
उनकी मुस्कुराहट हर गम भर देती है
उनकी मुस्कान बनी रहे ऐसा जतन चाहिए
तुमसे ही हमारी जिंदगी फूले-फले
अपने आंगन में ही हमको बसंत चाहिए
मुझ को कभी कुछ और ना चाहिए
बस उनका साथ हर पल चाहिए
अंधेरों से हमको बहुत डर लगता है
जिसके साथ से डर भाग जाए ऐसा साथी चाहिए
मुझे रोता देख खुद भी रो पड़े और गले लगाकर चुप कराए
ऐसा मुझको हमसफर चाहिए
मुझको कभी कुछ और ना चाहिए
बस उनका साथ हर पल चाहिए
जिसके आने से बहारें लौट आए
अब मुझे बचपन की यादों की फुहार चाहिए
अंबिका राही के यही सपने हैं ए खुदा
पूरा करने में आपका आशीर्वाद चाहिए
मुझको कभी कुछ और ना चाहिए
बस उनका साथ हर पल चाहिए
अंबिका राही
www.ambikaraheepoem.blogspot.in
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