जो लिखा गीत तुझपे तू गुनगुनाया नहीं!!! --अम्बिका राही -Ambika Rahee


रूह की मुहब्बत तू समझ पाया नहीं,
जो लिखा गीत तुझपे तू गुनगुनाया नहीं!!!

मेरा हर दर्द अपने शब्दों में सजाकर,
मैं लाता था गीत थोडा मिश्री मिलाकर,
मेरी चाहत का रंग तुझपे चढ़ पाया नहीं,
जो लिखा गीत तुझपे तू गुनगुनाया नहीं!!!


यूँ तो भुला चूका हूँ तुझको ज़माने से,
मगर सच नहीं ये हैं सिर्फ दिखाने के,
तेरी यादों में खो जाता हूँ कहीं अकेले में,
चेहरे की मुस्कान है सिर्फ तेरे गम छुपाने के,
दूर जाकर भी तेरी यादों से दूर जा पाया नहीं,
जो लिखा गीत तुझपे तू गुनगुनाया नहीं!!!

रूह की मुहब्बत तू समझ पाया नहीं,
जो लिखा गीत तुझपे तू गुनगुनाया नहीं!!!

-अम्बिका राही -Ambika Rahee



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