राधा तेरे नाम के आगे कविता अंबिका राही Radha tere name ke aage poem by ambika rahee

कविता

राधा तेरे नाम के आगे हम अपना है नाम चाहते.......

क्यों हम तुमको दिन भर सोचते,

मिलकर तुमसे अपना हर काम भूलते,

कैसा रोग लगा है मुझको ,

खुद से भी ज्यादा हम तुम्हें चाहते,

राधा तेरे नाम के आगे हम अपना है नाम चाहते हैं........

जीवन के इस रंगमंच में तेरा साथ जो हम पा जाते ,

सच्चा प्यार सीख कर तुझसे दुनिया को परिवार बनाते ,

रात अकेले जाग जाग कर छुप-छुपकर आंखों से मोती न बहाते

पास बैठते कभी प्यार से हम तुमको अपना कुछ गीत सुनाते

राधा तेरे नाम के आगे हम अपना है नाम चाहते.......

कठिन बहुत है भूलना तुमको यह जीवन की सच्चाई है ,

ऐसा लगता है अब मुझको प्रीति मेरी कई जन्मों से पुरानी है ,

हमने तेरी आंखों में देखी यह सच्चाई है ,

जब भी मैं देखना चाहा तू अक्सर मुस्काई है ,

मुख से न बोल कर तुम अपनी आंखों को कभी समझा न पाते ,

राधा तेरे नाम के आगे हम अपना है नाम चाहते .......

तुम ही मेरी मीरा सीता तुम ही मेरी राधा हो,

जाकर दूर मुझे लगता है जैसे जीवन मेरा आधा हो ,

प्यार के रिश्ते राधा जान मेरी!!! खुद ऊपर वाले हैं बनाते,

राधा तेरे नाम के आगे हम अपना है नाम चाहते।

अंबिका राही द्वारा
Ambikaraheepoem.blogspot.in

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